बैतूल। विहिप के धर्म प्रसार नारी शक्ति मंच के तत्वाधान में शंकर वार्ड में भजन पूजन कर राधा अष्टमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मंजु उपासे ने बताया कि राधा का प्रेम निष्काम और नि:स्वार्थ है। वह श्रीकृष्ण को समर्पित हैं, राधा श्रीकृष्ण से कोई कामना की पूर्ति नहीं चाहतीं। वह सदैव श्रीकृष्ण के आनंद के लिए उद्यत रहती हैं। इसी प्रकार जब मनुष्य सर्वस्व समर्पण की भावना के साथ कृष्ण प्रेम में लीन होता है, तभी वह राधाभाव ग्रहण कर पाता है। कृष्ण प्रेम का शिखर राधाभाव है। तभी तो श्रीकृष्ण को पाने के लिए राधा का आश्रय लेना ही होगा। उन्होने कहा कि यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस दिन राधा जी का जन्म हुआ था।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद अष्टमी को ही राधा जी का जन्मदिन मनाया जाता हैं। इस दिन राधा जी का विशेष पूजन और व्रत किया जाता है। जिला संयोजिका सुनिता साहू,ने कहा कि श्रीकृष्ण की भक्ति, प्रेम और रस की त्रिवेणी जब हृदय में प्रवाहित होती है, तब मन तीर्थ बन जाता है। सत्यम शिवम सुंदरम का यह महाभाव ही राधाभाव कहलाता है। श्रीकृष्ण वैष्णवों के लिए परम आराध्य हैं। वैष्णव श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व मानते हैं। आनंद ही उनका स्वरूप है। भगवान श्रीकृष्ण की उपासना मात्र वैष्णवों के लिए ही नहीं, वरन समस्त प्राणियों के लिए आनंददायक है। श्रीकृष्ण ही आनंद का मूर्तिमान स्वरूप हैं। कृष्ण प्रेम की सर्वो’च अवस्था ही राधाभाव है। इस अवसर पर पिंकी मालवीय, काशी बाई बारस्कर, शांता अखंडे, सुनीता वरकड़े,निर्मला लोन्हारे, विमला झाड़े, शकुन माकोड़े, ममता रावत, शकुन मालवीय, कविता साहू, लक्ष्मी मालवीय, बाली चौहान, दुर्गा सरकोले आदि उपस्थित थी।