लगभग 20 वर्षो से क्रिकेट पर लेख लिखने वाला यह लेखक अभी होने वाले आईपीएल की टाईमिंग के खिलाफ है। आंकड़े बता रहें हैं कि सूखा झेल रहे महाराष्ट्र में आईपीएल मैचों के दौरान 40 लाख लीटर पानी से भी अधिक लगेगा। खबर यह भी है की महाराष्ट्र के गांवों में पानी के टेंकर आते हैं तो लड़ाई झगड़े इतनी हद तक पहुंच जाते हैं कि धारा 144 तक लगानी पड़ जाती है। महाराष्ट्र में होने वाले मैच को लेकर जिस भी स”ान ने न्यायालय में रिट दायर की है वह साधूवाद का पात्र है परन्तु उन्होने रिट दायर करने में विलंब कर दिया। सवाल यह उठता है कि गर्मी में ही क्युं आईपीएल आयोजित किया जा रहा है?
इस नैतिक अपराध का कारण यह हो सकता कि साफ्ट ड्रिंक बनाने वाली कंपनियों का धंधा गर्मी में ही होता है और यह कंपनियां विज्ञापन के रूप में मोटी रकम देती हैं। यहां एक बात और गौर तलब है कि विदेशी खिलाडिय़ों के साथ-साथ भारतीय खिलाडिय़ों को भी गर्मी का मौसम रास नहीं आता है, लेकिन धन कूटने की चाह रखने वाली आईपीएल कमेटी किसी भी हद तक जा सकती है। जल संवर्धन पर प्रख्यात विद्वान राजेन्द्र सिंह का मानना है कि धरती को बुखार चढ़ गया है मौसम का मिजाज बदल गया है, जो सरकारों को समझ नहीं आ रहा है। जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे है लेकिन सरकारें और हम सो रहें हैं।
स्थानीय जल स्त्रोंतों को बचाने का प्रयास किए जाने चाहिए। उनका संरक्षण और संवद्र्धन होना चाहिए। जल की एक-एक बंद का उचित प्रबंधन करना होगा। भारत में कई गांव समुद्र तल से काफी उचांई पर हैं मानसून का पानी वहां ठहरता नहीं हैं। वहां पर स्टॅाप डेम या तालाब निर्माण जैसे कार्य को प्राथमिकता की श्रेणी से जुदा रखा गया है। दरअसल हम ही परंपराओं को भूल कर अजीबो गरीब सुविधाओ और मनोरंजन के लिए प्रकृति के साथ अंधा-धुंध झेडख़ानी कर रहें हैं। भिष्म पितामह ने एक बार युद्धिष्ठर को शिक्षा देते हुए कहा था कि एक तालाब खुदवाने से सात जन्मों का पुण्य मिलता है। प्रकृति अपने रंग दिखाती है तो पानी के लिए भारत भर में हजारो स्थानों पर यज्ञ का स्वांग रचा जाता है जो सिर्फ मीडिया की खुराक बनता है। गोया की ईश्वर प्रदत्त उपहार को नाश कर उससे ही मौसम चक्र दुरूस्ती की दरखास्त की जाती है।
पानी की प्राथमिकता पहले पेय है फिर खेत, कारखाने और फैक्ट्री उसके बाद खेल हो सकता है। परन्तु महाराष्ट्र में इस क्रम के उलट पहले खेल पर पानी का उपव्यय हो रहा है। केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार की इस अमानवीय मिक्सी में वहां का किसान बुरी तरह महीन होकर पिसने वाला है। एक बार केन्द्र सरकार ने चुनाव के चलते आईपीएल को सुरक्षा देने से मना कर दिया था तब आईपीएल के संस्थापक ललित मोदी आईपीएल को साउथ अफ्रीका ले गए और वहां यह लोकप्रिय भी रहा। पता नहीं क्युं बरबस ही हिन्दी सिनेमा की माईल स्टोन फिल्म ‘गाईड’ आ रही है, जिसमें नायक ताउम्र टु”ाा रहता है और अंत में उसे एक सूखा झेल रहे गांव वाले साधू समझकर यह मुगालते में आ जाते हैं कि वो पानी गिरवा देगा। नायक सही में उपवास कर लेता है और कहता है कि ‘सवाल यह नहीं है कि पानी गिरेगा या नही, सवाल यह भी नहीं है कि मैं बचुंगा या नहीं सवाल यह है कि उपर वाला है कि नहीं’। तो सवाल यह है भी है कि सत्ता सुप्रिमों में मानवता बाकी है कि नहीं? नहीं है तो टीवी, होर्डिग्ंस, और समाचार पत्रों में जल है तो कल है