बैतूल दिनांक 7 जनवरी 2013
कृषि विज्ञान केन्द्र ने जानकारी दी है कि विगत दिनों में पूरे उत्तर भारत में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। संचार माध्यम अभी लगभग एक सप्ताह तक ऐसी ही सर्दी पडऩे की सूचना दे रहे हैं। इस स्थिति में जिले में सब्जी वाली फसलों जैसे आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि एवं दलहनी फसलें जैसे चना, मसूर, मटर आदि तथा नवीन रोपित फलोद्यान के पौधों में पाले द्वारा क्षति होने की संभावना है। इन सभी फसलों में पाले का असर 4 डिग्री सेल्सियस या इससे कम तापमान पर होता है। गेहूं की फसल में पाले का असर तभी होगा, जब न्यूनतम तापमान एक डिग्री सेल्सियस से कम होगा। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों को फसलों में पाले के
बचाव हेतु सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही सलाह दी गई है कि –
पाला पडऩे से पहले बचाव उपाय – खेतों की मेढ़ों पर रात्रि में प्रक्षेत्र पर उपलब्ध कचरा या भूसा आदि जलाकर धुंआ करें। पाले से प्रभावित होने वाली फसलों में सिंचाई करें। दलहनी फसलों में हल्की सिंचाई करे।
पाले के पश्चात का प्रबंधन – प्रभावित फसल की तुरंत सिंचाई कर दें एवं वृद्धिकारक हार्मोन जैसे नेफ्थेलिन एसिटिक एसिड या जिब्रेलिक एसिड-3 का 250 पीपीएम घोल का छिडक़ाव करें। सिंचाई पश्चात एक प्रतिशत एनपीके का छिडक़ाव भी लाभकारी है। कृषकगण अधिक जानकारी हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र बैतूल बाजार में सम्पर्क करें।
समा. क्रमांक/20/20/01/2013