बैतूल। नारो व रैलियों से ही हमेशा हमने लोगों को स्व’छता की अलख जलाते हुए देखा होगा, शिक्षक शैलेन्द्र बिहारिया द्वारा तीन और चार का पहाड़ा तैयार किया है जो प्रदेश में पहला है। इस पहाड़े से ब”ो बहुत ही आसानी से रोचक तरीके से स्व’छता और पर्यावरण के महत्व को समझेंगे। उक्त बात रविवार को नगर पालिका सभागृह में नगर पालिका अध्यक्ष अलकेश आर्य ने शैलेन्द्र बिहारिया द्वारा उनकों पहाड़े भेंट के दौरान कही। इस मौके पर एल्डरमन तपन मालवीय ने बताया कि एक शासकीय स्कूल, माध्यमिक शाला सिमोरी विकासखंड भीमपुर के शिक्षक शैलेन्द्र बिहारिया ने ब”ाों को स्व’छता के प्रति मानसिक रूप से तैयार करने की आधारशीला रखी है। पूरन साहू व श्याम टेकपुरे ने बताया कि इन पहाड़ो का उपयोग करते हुए इनका प्रचार-प्रसार किया जाएगा। तपश्री ज्ञान मंदिर प्राचार्य दीप मालवीय एवं पंजाब राव गायकवाड़ ने कहा कि यह पहाड़ा पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने योग्य है। इस मौके पर नेमींचद मालवीय, अमिताभ तिवारी, अशोक मालवी, पवन गुजरे, श्रीराम पाटनकर आदि उपस्थित थे।
तीन का पहाड़ा
तीन एकम तीन, पन्नीयों को बीन
तीन दूनी छे, डस्ट बीन है
तीन तीया नौ, शौचालय का प्रयोग हो
तीन चौके बारह, स्व’छ विद्यालय हमारा
तीन पंचे पन्द्रह, शुद्ध जल संग्रह
तीन छंग अठरह, कचरे का करो निपटारा,
तीन सत्ते इक्काईस, स्व’छा का मिलेगा प्राईज
तीन आंठे चौबीस, बीमारी जाएगी वापिस
तीन नम सत्ताईस, स्व’छता की दो समझाईश
तीन दहाम तीस, याद रखना ये सीख
चार का पहाड़ा
चार एकम चार, पौधों का दो उपहार
चार दूनी आठं, पेड़ों को मत काट
चार तीया बारह, हरा-भरा विद्यालय हमारा
चार चौके सोलह, पास हो रूमाल-हर ब”ाा बोला
चार पंचे बीस, पौधों को सींच
चार छंग चौबीस, लगाओ ट्रीस
चार सत्ते अठईस, वॉटर फिल्टर हो बीच
चार अट्ठे बत्तईस, आयरन गोली न करें मिस
चार नमें छत्तीस, दूध है पौष्टिक
चार दहाम चालीस, कचरा हो फिनिश