विलुप्त होते गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवीत करें
यह दिवस मनाकर हमें हमारा वजुद दिखाना चाहिए,
बैतूल । युवा आदिवासी विकास संगठन बैतूल के तत्वाधान में बालक छात्रावास के समीप आदिवासी मंगल भवन में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। संगठन अध्यक्ष प्रदीप उईके ने बताया कि कार्यक्रम अपर कलेक्टर श्री कुलेश, विष्णुसिंह गौंड समाज समिति अध्यक्ष महेन्द्र कुमार उईके, सुखवान समिति अध्यक्ष जंगुसिंह धुर्वे,मंगला देवी समिति अध्यक्ष प्रहलाद धुर्वे,कोरकु समाज समिति जिलाध्यक्ष जनक मवासे,अखिल भारतीय विकास परिसर ब्लाक अध्यक्ष भीमपुर शंकर सिंह चौहान, एसडीओ सरवन मरकाम, समग्र आदि गोंडी धर्म समिति सीएस उईके, विधी प्रकोष्ट शंकर पेंद्राम्र गोंडवाना महासभा जिलाध्यक्ष बीएल इवनाती, राजु इवने, सूरज सिंह इवने, समाजसेवी राजेश सरियाम के आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सरदार विष्णुसिंह गौंड के छायाचित्र पर माल्यापर्ण किया गया। इसके पश्चात अपने उद्बोधन में बीएस कुलेश ने कहा कि धर्म, परम्पराएं व अपनी सभ्यता पर समझौता नहीं करना चाहिए । अपने मान, सम्मान और स्वाभिमान के प्रति सजग होकर विलुप्त होते गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवीत करना चाहिए । ऐसा तभी संभव होगा जब हम जाति वैमनस्यता और क्षेत्रिय संकीर्णता का अन्त कर, अशिक्षा, अजागरुकता, अंधविश्वास, कुरुतियां,रुढिय़ाँ के फेर व शराब मे लिप्त रहने जैसी बिमारियों को दूर करने में सफलता प्राप्त कर लें। सरवन मरकाम ने कहा कि यूएनओ ने अपने गठन के 50वे वर्ष मे यह महसूस किया कि 21 वां सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत आदिवासी समाज अपनी उपेक्षा,गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा का अभाव,बेरोजगारी एवं बन्धुआ व बाल मजदूरी जैसी समस्याओ से ग्रसित है । अत: 1993 में कार्यदल के 11 वेंअधिवेशन में आदिवासी अधिकार घोषणा प्रारुप को मान्यता मिलने पर 1993 को आदिवासी वर्ष व 9 अगस्त को आदिवासी दिवस घोषित किया गया । आदिवासियों को अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओ का निराकरण,भाषा संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 में जेनेवा शहर में विश्व के आदिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस सम्मेलन आयोजित किया । सीएस उइके ने कहा कि यह भारत के आदिवासियो का दुर्भाग्य है कि वो जिस सरकार का निर्वाचन करते है वह सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देश के बावजुद भारत में केन्द्र या राज्य की सरकारें 9 अगस्त को देश के भीतर आदिवासी दिवस पर आदिवासी विकास की समीक्षा जैसे समरोह का आयोजन नहीं करती, करना तो दूर रहा अस्तित्व ही स्वीकार नही कर रही और पार्टियो के जडख़रीद गुलाम नेताओ यह तक पता नही कि यह दिवस क्या है । महेन्द्र सिंह उइके ने कहा कि यह दिवस मनाकर हमें हमारा वजुद दिखाना चाहिए, आदिवासी समस्याओ पर एक मांग पत्र तैयार किया जाये, हमारी संस्कृति, भाषा, इतिहास, परम्पराओ का संरक्षण हो हमारे संवैधानिक व मूलाधिकारोँ जल जँगल जमीन का अधिकार और हमारा अस्तित्व बना रहे इसके लिए हमेँ संगठीत होना होगा और इसके लिए 9 अगस्त आदिवासी दिवस से बेहतर अवसर कोई नही । राजेश सरेआम ने कहा कि विकास का जो लाभ (आंशिक ही सही) हमें मिला है । उसका कुछ हिस्सा समाज में वितरण करना होगा । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सचिव सुनील जावरकर,समिति उपाध्यक्ष राजेश कुमार धुर्वे,हॉस्टल अध्यक्ष बबलु धुर्वे, नगर सचिव संदीप धुर्वे, सहसचिव महेन्द्र उइके, अरविंद उइके, शंकर चौहान, शरद इवने, संतोष धुर्वे,कमल भास्कर, मुकेश इवने, गंगु धुर्वे, राजेश मवासे, देवजी बारस्कर, अज्जु चतुरकर, महादेव सेलुकर, सतीश इवने आदि बड़ी संख्या में आदिवासी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन जंगु सिंह ने एवं आभार प्रदीप उइके द्वारा व्यक्त किया गया।